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चंदौली के रामदास पहलवान का हुआ निधन,हिन्दू-मुस्लिम एकता के थे प्रतीक,नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई

चन्दौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के लौंदा गांव निवासी 90 वर्षीय रामदास यादव ने अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है। रामदास पहलवान ने अपने जीवन में हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। वे दोनों समुदायों के पहलवानों के साथ अपनी ताकत का जोर आजमाईश करते थे और उन्हें पहलवानी के ककहरे और दांव-पेंच सिखाते थे। उनकी पहलवानी की कला और उनकी शिक्षा का प्रभाव क्षेत्र के कई नामचीन पहलवानों पर पड़ा।

रामदास पहलवान की विदाई में उनके चाहने वाले उन्हें ‘जबतक सूरज चांद रहेगा, रामदास तेरा नाम रहेगा’ के नारों के साथ अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उनकी यह कहावत आज भी लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी, क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी खेल और समुदाय के बीच सामंजस्य की भावना को बढ़ावा देने में बिताई। उनके निधन से क्षेत्र की पहलवानी दुनिया को बड़ी क्षति हुई है। उनके योगदान को याद करते हुए लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और उनकी यादें हमेशा उनके दिलों में जीवित रहेंगी।

इस दौरान पूर्व प्रधान खुर्शीद, अखलाक अहमद लक्खू, शमीम मिल्की, मेराज अहमद नन्हे,सैयद सरफराज पहलवान, मुक्खी यादव,कमलेश यादव,अजय यादव, हाजी नूरुल, सिब्बल राही के साथ हजारों लोगों ने नम आंखों से विदाई दी।

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