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चंदौली-बारिश से सब्जियों के दाम में भारी इजाफा कारण और उसका प्रभाव

चंदौली -बरसात के मौसम में सब्जियों की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी एक आम समस्या बन चुकी है। यह स्थिति केवल उपभोक्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि किसानों और विक्रेताओं के लिए भी चुनौतियाँ खड़ी करती है। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं, जिनमें प्राकृतिक आपदाएं, परिवहन में बाधाएँ और आपूर्ति की कमी प्रमुख हैं।लगातार बारिश और बाढ़ की वजह से खेतों में पानी भर जाता है, जिससे हरी सब्ज़ियाँ और जल्दी खराब होने वाली फसलें जैसे टमाटर, भिंडी, करेला आदि सड़ जाती हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान होता है।फसल खराब होने के कारण स्थानीय बाजारों में सब्जियों की आवक घट जाती है। वहीं, बाहरी राज्यों से भी परिवहन में देरी और नुकसान के कारण आपूर्ति बाधित होती है।बरसात के दौरान सड़कों पर जलभराव, कीचड़ और जर्जर हालात के कारण ट्रकों और अन्य परिवहन साधनों की आवाजाही प्रभावित होती है। इससे सब्जियाँ समय पर मंडियों तक नहीं पहुँच पातीं, जिससे उनकी कीमतें बढ़ जाती हैं।हालाँकि बारिश के मौसम में भी सब्जियों की माँग बनी रहती है, लेकिन जब आपूर्ति घट जाती है तो माँग-आपूर्ति के असंतुलन के कारण कीमतें आसमान छूने लगती हैं।कभी सूखा तो कभी अत्यधिक वर्षा – यह असामान्य मौसम चक्र फसलों की उत्पादकता पर सीधा असर डालता है। इससे खेती करना और भी जोखिम भरा हो जाता है।कीमतों में उछाल: बरसात के मौसम की शुरुआत से ही टमाटर, आलू, प्याज, हरी मिर्च और करेला जैसी सब्जियों की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। कई बार ये कीमतें दोगुनी या तिगुनी तक हो जाती हैं।आर्थिक दबाव: आम उपभोक्ता की रसोई का बजट बिगड़ जाता है। मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवारों पर इसका सीधा आर्थिक दबाव पड़ता है।बरसात का मौसम जहाँ एक ओर जीवनदायिनी वर्षा लाता है, वहीं दूसरी ओर यह कृषि व्यवस्था पर गंभीर असर भी डालता है। सब्जियों की कीमतों में वृद्धि एक बड़ी समस्या बन जाती है। सरकार को चाहिए कि वह परिवहन व्यवस्था में सुधार करे, बाढ़ प्रबंधन को सुदृढ़ बनाए और किसानों को क्षतिपूर्ति देने की योजनाएँ समय पर लागू करे, ताकि उपभोक्ता और किसान दोनों को राहत मिल सके।

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