Chandauli News-मनोज सिंह डब्लू की नाव यात्रा का असर:सरकार ने लिया यू-टर्न,गंगा में मत्स्य टेंडर पर रोक,मछुआरा समाज में खुशी की लहर

चंदौली – समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू की अगुवाई में हुए विरोध और मछुआरा समाज की एकता के आगे आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा। मंगलवार को मत्स्य विभाग ने गंगा नदी में मछली पकड़ने के लिए जारी टेंडर पर रोक लगाने की आधिकारिक घोषणा कर दी। जैसे ही यह सूचना जिले भर के मछुआरा समाज तक पहुँची, खुशी की लहर दौड़ गई। समाज के लोगों ने इसे अपनी संगठित लड़ाई की जीत और मनोज सिंह डब्लू के नेतृत्व की सफलता बताया।गौरतलब है कि मत्स्य विभाग ने शासन के निर्देश पर जनपद चंदौली में कैली से महुजी तक गंगा नदी के हिस्सों में 5-5 किलोमीटर के टुकड़ों में मछली पकड़ने के लिए ठेके देने का निर्णय लिया था। जैसे ही यह टेंडर सार्वजनिक हुआ, स्थानीय मछुआरा समाज में हड़कंप मच गया.आजीविका पर संकट महसूस करते हुए मछुआरा समाज ने जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और नेताओं से गुहार लगाई। समाज के लोगों का कहना था कि इस टेंडर से उनकी पारंपरिक जीविका, सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा।
मनोज सिंह डब्लू की नाव यात्रा बनी निर्णायक मोड़
1 सितंबर को सपा नेता मनोज सिंह डब्लू ने नरौली गंगा घाट से महुजी तक नाव यात्रा निकाली। इस दौरान वे मछुआरा समाज के गांवों और मोहल्लों में पहुँचे, लोगों से संवाद किया और उन्हें संगठित होकर सांवैधानिक तरीके से संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
इस यात्रा ने जमीनी स्तर पर जनचेतना फैलाने का कार्य किया और महुजी तक पहुँचते-पहुँचते एक बड़ा जनसमूह तैयार हो गया जो सरकार और मत्स्य मंत्री संजय निषाद से सवाल पूछने को तत्पर था।बढ़ते जनदबाव को देखते हुए मंगलवार को वाराणसी के सहायक मत्स्य निदेशक ने एक वीडियो जारी कर जानकारी दी कि शासनादेश के तहत गंगा नदी में मछली पकड़ने के टेंडर को रोक दिया गया है।इस घोषणा के साथ ही मछुआरा बस्तियों में जश्न का माहौल बन गया। लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जीत का जश्न मनाया और इसे समाज की संघर्षशील एकता और नेतृत्व का परिणाम बताया।मछुआरा समाज ने कहा यह सिर्फ टेंडर रुकवाने की जीत नहीं है, बल्कि हमारी आवाज़ को सुने जाने की जीत है। हम मनोज सिंह डब्लू जी के आभारी हैं जिन्होंने हमारी पीड़ा को समझा और सरकार तक पहुँचाया।इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि नीतिगत फैसलों में जनता की भागीदारी और स्थानीय समुदायों की आवाज़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह केवल एक टेंडर रद्द होने की खबर नहीं, बल्कि जनहित और सामाजिक नेतृत्व की जीत की मिसाल है।
