मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के नाम पर स्कॉलरशिप का किया ऐलान

लखनऊ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के नाम पर एक विशेष स्कॉलरशिप योजना शुरू करने की घोषणा की। इस स्कॉलरशिप के तहत स्पेस टेक्नोलॉजी में पढ़ाई कर रहे छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्कॉलरशिप न केवल छात्रों को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि प्रदेश के तकनीकी संस्थानों में अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर बढ़ती दिलचस्पी को भी समर्थन देगी।
मुख्य घोषणाएं और बातें:
शुभांशु शुक्ला स्कॉलरशिप योजना की शुरुआत होगी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को दिए गए निर्देश:
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अनुभवों का उपयोग किया जाए।
स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कैरियर बनाने वाले छात्रों को मिलेगा लाभ।
प्रदेश के 12 से अधिक तकनीकी संस्थानों में अब स्पेस टेक्नोलॉजी के कोर्स संचालित हो रहे हैं।
भारत के अंतरिक्ष मिशन में उत्तर प्रदेश का योगदान:
मुख्यमंत्री ने बताया कि तीन-चार साल पहले तक उत्तर प्रदेश में स्पेस टेक्नोलॉजी से संबंधित कोई पाठ्यक्रम नहीं था। आज यह बदल चुका है। यह भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में उत्तर प्रदेश की सहभागिता का प्रतीक है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की गौरवशाली यात्रा:
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 18 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर पृथ्वी की 320 बार परिक्रमा की।उन्होंने कहा, “स्पेस में पहली बार पहुंचने पर शरीर में कई बदलाव होते हैं — ब्लड सर में, दिल की धड़कन धीमी, और भूख न लगना सामान्य है।”उन्होंने यह भी कहा, “स्पेस एक ऐसी जगह है जहां जीवन को सस्टेन नहीं होना चाहिए, लेकिन मानव इंजीनियरिंग ने इसे संभव बनाया है।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा:
स्पेस टेक्नोलॉजी के जरिए जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा और कृषि संकट जैसी समस्याओं के समाधान की दिशा में काम हो सकता है। उत्तर प्रदेश अपने स्वयं के सैटेलाइट और रिमोट सेंसिंग स्टेशन विकसित करने की दिशा में प्रयासरत है।समारोह में शुभांशु शुक्ला की माता आशा शुक्ला, पिता शंभु दयाल शुक्ला, और पत्नी कामना शुक्ला को भी अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर एक लघु फिल्म के माध्यम से उनकी अंतरिक्ष यात्रा की झलक भी प्रस्तुत की गई।लखनऊ में जो अपनापन मिला, वह दिल्ली से दोगुना था। आज 2,000 से अधिक सेल्फी खिंचाई गईं। अब समझ में आया — मुस्कुराइए, आप लखनऊ में हैं।