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Chandauli News-दिशा की बैठक में पक्ष-विपक्ष हुए एक अपनी कमियां छुपाने के लिए मीडिया को किया गया बाहर

चंदौली। जिले के कलेक्ट्रेट परिसर में बुधवार को आयोजित दिशा (District Development Coordination and Monitoring Committee) की बैठक एक बार फिर चर्चा और विवाद का विषय बन गई। इस बार बैठक को पूरी तरह से बंद कमरे में आयोजित किया गया, जिसमें मीडिया को न तो प्रवेश की अनुमति मिली और न ही कोई स्वतंत्र कवरेज संभव हो सका।

जहां पहले की दिशा बैठकों में मीडिया को अंदर से कवरेज करने की अनुमति रहती थी, वहीं इस बार पत्रकारों को सभागार से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जिससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि सत्ता और विपक्ष आखिर क्या छिपाना चाह रहे हैं?

दरअसल, पिछली दिशा बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी। आरोप-प्रत्यारोप का दौर इतना तीव्र था कि बैठक का माहौल गहमा-गहमी से भर गया था, जिसका वीडियो भी बाद में वायरल होकर चर्चा का विषय बन गया था।इसी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए इस बार प्रशासन ने शांति बनाए रखने के नाम पर पारदर्शिता की बलि चढ़ा दी। पूरी बैठक को बंद कर, मीडिया और आमजन की पहुंच से दूर रखा गया।

बैठक के दौरान कलेक्ट्रेट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया, जहां जगह-जगह पुलिस बल और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती रही। पत्रकारों और आम लोगों को सभागार के आसपास भी नहीं जाने दिया गया, जिससे असंतोष और अविश्वास का माहौल स्पष्ट तौर पर देखा गया।बैठक में सपा सांसद वीरेंद्र सिंह, रॉबर्ट्सगंज सांसद छोटेलाल खैरवार, सकलडीहा के विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव, भाजपा विधायक सुशील सिंह, रमेश जायसवाल, कैलाश आचार्य, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सहित कई अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित रहे।हालांकि, बैठक के एजेंडे, लिए गए निर्णयों और जनहित से जुड़ी चर्चाओं की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई, जिससे यह बैठक महज एक औपचारिक आयोजन बनकर रह गई।चंदौली की यह दिशा बैठक एक ऐसी मिसाल बन गई है जहाँ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ — मीडिया — को दरकिनार कर दिया गया। सत्ता और विपक्ष दोनों ने मिलकर अपनी-अपनी कमजोरियों और प्रशासनिक खामियों को ढकने की कोशिश की, जिसकी कीमत जनता को सूचना से वंचित रहकर चुकानी पड़ी।अब सवाल यह उठता है कि क्या इस बंद कमरे की बैठक से जनता को कोई वास्तविक लाभ मिलेगा, या यह भी अन्य बैठकों की तरह एक औपचारिकता भर बनकर रह जाएगी?

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